दोहागीत "समय-समय के ढंग" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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*समय-समय की बात है**, समय-समय का फेर।*
*मिट्टी को कंचन करे**, **नहीं लगाता देर।।*
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*समय पड़े पर गधे को**, बाप बनाते लोग।*
*समय बनाता सब जगह**...
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