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"बैठकर के धूप में मस्ताइए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

Tuesday 18 December 2012

कव्वाली
आ गई हैं सर्दियाँ सुस्ताइए।
बैठकर के धूप में मस्ताइए।।

पड़ गई हैं छुट्टियाँ स्कूल की.
बर्फबारी देखने को जाइए।
बैठकर के धूप में मस्ताइए।।

रोज दादा जी जलाते हैं अलाव,
गर्म पानी से हमेशा न्हायिए।
बैठकर के धूप में मस्ताइए।।

रात लम्बी, दिन हुए छोटे बहुत,
अब रजाई तानकर सो जाइए।
बैठकर के धूप में मस्ताइए।।

खूब खाओ सब हजम हो जाएगा,
शकरकन्दी भूनकर के खाइए।
बैठकर के धूप में मस्ताइए।।

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Sunday 14 October 2012

सभी मित्रों को
नवरात्रि की
हार्दिक शुभकामनाएँ!

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"टीचर जी! मत पकड़ो कान" (काव्यानुवाद-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

Monday 16 January 2012

काव्यानुवाद 
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")

टीचर जी!
मत पकड़ो कान।
सरदी से हो रहा जुकाम।।

लिखने की नही मर्जी है।
सेवा में यह अर्जी है।।

ठण्डक से ठिठुरे हैं हाथ।
नहीं दे रहे कुछ भी साथ।।

आसमान में छाए बादल।
भरा हुआ उनमें शीतल जल।।

दया करो हो आप महान।
हमको दो छुट्टी का दान।।

जल्दी है घर जाने की।
गर्म पकोड़ी खाने की।।

जब सूरज उग जाएगा।
समय सुहाना आयेगा।।

तब हम आयेंगे स्कूल।
नहीं करेंगे कुछ भी भूल।।
मूल पाठ (श्रीमती रजनी माहर)
mat pakado kan hamare teacher je....
aaj bahut sardi hai....
kaanp rahe hai haath hamare ..
likhne kee nahi marji hai......
suraj ko dhak raha hai baadal..
dekho kitana bedardi hai......
daya karo aab choor do hamko ..
ghar jane ki jaldi hai......
aab to bas mummi ke hatho 
khani garam pakaudi hai.....
mat pakado kan hamare teacher jee ..
aaj bahut sardi hai...

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Wednesday 28 September 2011

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"वफा करके दिखा देंगे" (रजनी माहर)

तू नहीं...
तो कोई और भी नही!
तेरे बिन...
जीकर दिखा देंगे!
काँटों पर...
चलकर दिखा देंगे!
आग में... 
जलकर दिखा देंगे!
जा बेवफा...
बेवफाई पे भी तेरी...
वफा करके दिखा देंगे!

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"ऐ ज़िन्दगी" (रजनी माहर)

ऐ ज़िन्दगी आजा 
अब मैदान में...
देखें....
किसमें कितना है दम?
जब तू नहीं कम,
तो हम भी नहीं कम!
तेरे पास तो-
देने के लिए हैं ग़म,
हमारे जिगर में-
उसे सहने का है दम!
माना काँटों भरा है-
जीवन का रास्ता,
तो फूलों से-
क्या रखना वास्ता!!

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सभी मित्रों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ..

सभी मित्रों को नवरात्रि की 
हार्दिक शुभकामनाएँ..

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